Wednesday, May 27, 2009

आज वो सब कह लेने दे

मुझे आज वो सब कह लेने दे 
कुछ देर और अपने पास रह लेने दे

बरसों सी छाये थे बादल ग़मों के
 ख़ुशी को अब आंसू बन के बह लेने दे

डर सा लगता है धुप के इन सायों से 
अपने आँचल की छाओं को थोडा सह लेने दे

हम दोनों जानते हैं के कुछ देर में बिछड़ना होगा 
कभी ना बिछडेंगे झूठ मूठ ही कह लेने दे

कल भी शाम होगी बस तू ना पास होगी 
चले जाना, बस मेरे सपनों के महल को तो ढह लेने दे

मुझे आज वो सब कह लेने दे 
कुछ देर और अपने पास रह लेने दे