मुझे आज वो सब कह लेने दे
कुछ देर और अपने पास रह लेने दे
बरसों सी छाये थे बादल ग़मों के
ख़ुशी को अब आंसू बन के बह लेने दे
डर सा लगता है धुप के इन सायों से
अपने आँचल की छाओं को थोडा सह लेने दे
हम दोनों जानते हैं के कुछ देर में बिछड़ना होगा
कभी ना बिछडेंगे झूठ मूठ ही कह लेने दे
कल भी शाम होगी बस तू ना पास होगी
चले जाना, बस मेरे सपनों के महल को तो ढह लेने दे
मुझे आज वो सब कह लेने दे
कुछ देर और अपने पास रह लेने दे