कितने अजीब हैं
जो कलतक अजनबी थे
आज कितने करीब हैं
बचपन के दोस्त आज
दुश्मन हुए बैठे हैं
क्योंकि आज हमारा
इक नया रफीक है
दुनिया से हार चुके थे
आज दिल भी हार गए
कल के बदनसीब हम
आज खुश नसीब हैं
ना उम्मीदियों से अपना
था कल तक गहरा नाता
अब अच्छी कटेगी जिंदगी
यही इक उम्मीद है
रिश्ते बनते नहीं कभी
सिर्फ किसी को चाहने से
प्यार उसी को मिलता है
होता बुलंद जिसका नसीब है
सुन्दर!
ReplyDeleteरिश्ते बनते नहीं कभी
ReplyDeleteसिर्फ किसी को चाहने से
सच है ..!!
रिश्ते बनते नहीं कभी
ReplyDeleteसिर्फ किसी को चाहने से
प्यार उसी को मिलता है
होता बुलंद जिसका नसीब ह
बहुत सुन्दर और यथार्थ के करीब अभिव्यक्ति के लिये बधाई
Rishton ki sundar paribhaashaa.
ReplyDelete{ Treasurer-S, T }
rishtei bantei hein
ReplyDeletebhawnaao ke dene lene se
shradha pyaar etbaar
ke kayam hone se
tike rahte hein wishwaas par
lakin jub tak ma mile malik kimanjoori
ek tarfa pyaar rishta nahi kehlata