ना बेचैनियाँ ना बेताबियाँ ना इंतज़ार के वो गुबार
नाउमीदियाँ नाखुशहालियाँ ना आयी कोई बहार
क्यूं बढ़ता जा रहा है हर पल ये जुनून
सोचा था प्यार में मिलेगा इक सुकून
पहले तो उनकी गली के हर मोड़ पर
उनकी राह तका करते थे दौड़ दौड़ कर
अब कयूं जिंदगी के इस मोड़ पर आके
रास्ते सब बंद से हैं उन्हें अपना बनाके
उन्हें पाके लगा जैसे मुकाम कोई पा लिया
खिजा में जैसे बहार ने हो गले लगा लिया
अब नजदीकियों से दम क्यूं घुटने लगा है
बुलबुल अब सैयाद सा क्यूं लगने लगा है
थोडा दूर हटो तो शायद कुछ सोच पाऊँ
कहीं से खोई खुशीआं वापस ढूढ़ लाऊँ
जो कल था भरपूर आज क्या कम हो गया
क्यूं कल की खुशी आज का गम हो गया
जो कल था भरपूर आज क्या कम हो गया
ReplyDeleteक्यूं कल की खुशी आज का गम हो गया
Because of time & life...
this is sad but it's true...
थोडा दूर हटो तो शायद कुछ सोच पाऊँ
ReplyDeleteकहीं से खोई खुशीआं वापस ढूढ़ लाऊँ
जो कल था भरपूर आज क्या कम हो गया
क्यूं कल की खुशी आज का गम हो गया
-ह्म्म!! भावपूर्ण!
पहले तो उनकी गली के हर मोड़ पर
ReplyDeleteउनकी राह तका करते थे दौड़ दौड़ कर
अब कयूं जिंदगी के इस मोड़ पर आके
रास्ते सब बंद से हैं उन्हें अपना बनाके
sunder rachana,yahi zindagi hai
थोडा दूर हटो तो शायद कुछ सोच पाऊँ
ReplyDeleteकहीं से खोई खुशीआं वापस ढूढ़ लाऊँ
जो कल था भरपूर आज क्या कम हो गया
क्यूं कल की खुशी आज का गम हो गय
यही तो आदमी की फितरत है जो है उसे जीने की बजाये जो नहीं है उस ओर भागता है बहुत सुन्दर रचना बधाई
पहले तो उनकी गली के हर मोड़ पर
ReplyDeleteउनकी राह तका करते थे दौड़ दौड़ कर
अब कयूं जिंदगी के इस मोड़ पर आके
रास्ते सब बंद से हैं उन्हें अपना बनाके
bahut hi sundar
मित्रो तथा शुभचिंतको
ReplyDeleteमेरा ब्लॉग पढ़ने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
तारीफ़ के साथ कुछ सुझाव और आलोचना
भी हो तो मुझे और बढावा मिलेगा शायद कुछ
और भी अच्छा लिख सकूं
इंदर