Monday, July 6, 2009

उसको मैंने क्यूं याद किया

ऐसी क्या मजबूरी थी
ऐसा क्या उपकार किया
जिसने मुझे बरबाद किया
उसको मैंने क्यूं याद किया

इक दिल था तेरे पास मेरा
उसको भी न तू पहचान सकी
कभी यहाँ गिरा कभी वहाँ गिरा
बस टूट गया और हार गया

आहें तो भरीं शिकवे न किये
तिल तिल कर यूं हम जलते रहे
तुझे हंसते देख औरों के संग
झूठी खुशिओं का इज़हार किया

तू मेरी हो न सकी हमदम
दूजों की सजाई तूने महफ़िल
गैरों की बाहों में जा तूने
मेरी चाहत से खिलवाड़ किया

आंसू ना बहे पर जां तो गयी
अब जीने की कोई ख्वाइश ही नहीं
जब तू ना रही तो कुछ भी नहीं
तेरी खुशियों को स्वीकार किया

कभी आन पड़े जो मुसीबत भी
दे देना हलकी दस्तक सी
मैं खड़ा मिलूंगा उसी मोड़ पर
जहां रुखसत तुझको यार किया

3 comments:

  1. चाहत से खिलवाड़ करे जो करें उसी से प्यार।
    कभी न टूटें प्यार में मिले जीत या हार।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

    ReplyDelete
  2. वाह क्या प्यार है आपका।

    ReplyDelete
  3. dooriyaan pyaar ko shayad kuch pheeka kardeti hongi
    par pyaar topyaar hai sada sach hai
    sada bana rahta hai
    wahi ka wahi na tale na dhale
    barsoon sadiyoon
    janmoo ka hota hai pyaar

    ReplyDelete