ऐसी क्या मजबूरी थी
ऐसा क्या उपकार किया
जिसने मुझे बरबाद किया
उसको मैंने क्यूं याद किया
इक दिल था तेरे पास मेरा
उसको भी न तू पहचान सकी
कभी यहाँ गिरा कभी वहाँ गिरा
बस टूट गया और हार गया
आहें तो भरीं शिकवे न किये
तिल तिल कर यूं हम जलते रहे
तुझे हंसते देख औरों के संग
झूठी खुशिओं का इज़हार किया
तू मेरी हो न सकी हमदम
दूजों की सजाई तूने महफ़िल
गैरों की बाहों में जा तूने
मेरी चाहत से खिलवाड़ किया
आंसू ना बहे पर जां तो गयी
अब जीने की कोई ख्वाइश ही नहीं
जब तू ना रही तो कुछ भी नहीं
तेरी खुशियों को स्वीकार किया
कभी आन पड़े जो मुसीबत भी
दे देना हलकी दस्तक सी
मैं खड़ा मिलूंगा उसी मोड़ पर
जहां रुखसत तुझको यार किया
चाहत से खिलवाड़ करे जो करें उसी से प्यार।
ReplyDeleteकभी न टूटें प्यार में मिले जीत या हार।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
वाह क्या प्यार है आपका।
ReplyDeletedooriyaan pyaar ko shayad kuch pheeka kardeti hongi
ReplyDeletepar pyaar topyaar hai sada sach hai
sada bana rahta hai
wahi ka wahi na tale na dhale
barsoon sadiyoon
janmoo ka hota hai pyaar