Sunday, July 5, 2009

कुछ देर और मेरे पास यूं ही बनी रहो

मुश्किलों से मिलते हैं ये लम्हे साथ साथ
आओ करें आज जी भर के मुलाक़ात
अब यूं बार बार जाने की जिद ना करो
कुछ देर और मेरे पास यूं ही बनी रहो

दुनिया की बातें तो हमने बहुत हैं कर लीं
पर दिल है के इन बातों से भरता ही नहीं
अब कुछ मेरी सुनो कुछ अपनी भी कहो
कुछ देर और मेरे पास यूं ही बनी रहो

दिन, हफ्ते और महीने गुज़र जायेंगे
ऐसे लम्हे ना जाने फिर कब हाथ आयेंगे
आओ इन पलों को आज जी भर के जी लो
कुछ देर और मेरे पास यूं ही बनी रहो

तुम पास हो तो क्यूं आता नहीं यकीं
काश वक़्त आज थम जाये बस यहीं
आज ना जाने का कोई बहाना ही ढूढ़ लो
कुछ देर और मेरे पास यूं ही बनी रहो

पहलू भी बदलती हो तो लगता है तुम बस चली
अभी तो सिर्फ दोपहर हुई है शाम ढली भी नहीं
मेरे तपते दिल मैं इक बारिश बन कर बरसो
कुछ देर और मेरे पास यूं ही बनी रहो

तुम्हारे मन मैं उठे हैं आज बहुत से ख़याल
मेरे भी तन में उठें हैं आज बहुत से बवाल
तनमन एक हो जाने दो बस अब कुछ और ना कहो
कुछ और देर मेरे पास यूं ही बनी रहो

5 comments:

  1. Dil Ka Mamala hai Dar ji, Per Khoobsoorat hai....

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  2. yes, dil hai ke mantaa naheen, kya karein

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  3. laajawaab bahut khoob likhne lagi ho lagta hai pyaar h gaya hai kavita se

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  4. Kavita se to tha hee pahle se pyaar
    ab jeevan me ayee he ik nayi bahaar
    dil naye geet gungunane lagaa hai
    pyaar ka ab mazaa sa aane lagaa hai

    Inder

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