तुम जब मुझसे मिलने आती थी
अपना कुछ न कुछ सामान
जान बूझ कर छोड़ जाती थी
तुम्हारा वो सब सामान
अब भी मेरे घर में रखा है
कभी आते जाते ले जाना
यादों के सहारे
तो जिंदगी नहीं काटी जा सकती
अपनी वो सब मुलाकातें
अब यादें बन कर
मेरे घर के हर कोने में पढ़ी हैं
कभी आते जाते ले जाना
तुमने प्यार का जो इज़हार किया था
कुछ लम्बे लम्बे ख़त लिख कर
तुम्हारे कुछ ख़त पड़े हैं
मेरे तकिये के नीचे
कभी आते जाते ले जाना
तुमने कभी मेरी जिंदगी
महकाई थी फूलों सी
वो कुछ सूखे फूल रखे हैं
मेरी जिंदगी की किताबों में
कभी आते जाते ले जाना
लम्हा लम्हा चुरा कर
कुछ वक़्त साथ था हमने गुज़ारा
इक पल के लिए भी
दूर रहना ना था गवारा
वो वक़्त अब थमा सा खडा है
मेरे घर के गलियारों में
कभी आते जाते ले जाना
मेरे नाम के साथ
अपना नाम लिखा था तुमने
घर की दीवारों पर
घर की राहों पर, आँगन मैं, चिनारों पर
वो नाम अब धुल की परत में ढक गए हैं
कभी आते जाते ले जाना
मेरा भी कोई सामान
शायद गलती से तुम्हारे साथ
चला गया होगा
दिल खो सा गया है
शायद तुम्हारे पास बेज़ार सा पड़ा होगा
कभी आते जाते दे जाना
क्या बात है!!
ReplyDeletetoo good...simply like it...
ReplyDeleteबहौत ही बढ़िया
ReplyDelete---
विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
अपनी अनुभूतियों को बहुत प्यारे शब्द दिए हैं और करीने से सजाये हैं |
ReplyDeletekitna sach sa lagta hai jub koi chala jata hai sab chore ke
ReplyDeleteachha likte hoji
Thanks for comments
ReplyDeletepyaar ki saugatein lautaya naheen karte yeh to aashikoon ki jaydaad hoti hein inhi ke sahare jeete marte heinwoh
ReplyDeletekabhipyaar karo to jaano