Friday, January 8, 2010

मान लिया तुझे अब अपना ख़ुदा

ख़ुदा को कर दिया खुद से जुदा
मान लिया तुझे अब अपना ख़ुदा

मुझे ना रही ख़ुदा की ज़रुरत तब से
मेरा ख़ुदा तुझमें समा गया जब से

मेरी नैया की पतवार है अब तेरे हाथ में
डुबा दे अब या ले चल अपने साथ में

कभी कभी मुझे अपने ख़ुदा से डर सा लगता है
जब मेरा ख़ुदा दूसरों पर मेहरबान सा लगता है

दिल को समझाता हूँ पर दिल है के मानता ही नहीं
शायद मैं अपने ख़ुदा को ठीक से जानता ही नहीं

अंजाम कुछ भी हो मुझे कभी शिकायत ना होगी
ख़ुदा की शिकायत करने की तो कोई अदालत ना होगी

मेरी इबादत में कमी हो तो मुझे बता देना
खुद से अलग करके कभी ना सज़ा देना

3 comments:

  1. Khuda ko mehaboob mein dekhna ya mehaboob ko khuda mein dekhna - jo bhi ho baat aapne ibadat ki kee hai :)

    khoob likha hai daad kabool farmayein :)

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  2. Kuda do mahaboob mein dekha to mahaboob khuda sa nazar aya to uski abaadat shuru kar dee

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  3. kaya khoob
    mujhe bhi aisa hi lagta hai kimahboob kohi khuda maan liya hai aap ne

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