Saturday, June 6, 2009

तेरा ख़याल आता है

तेरा ख़याल आता है तो बस आता ही चला जाता है
आहट भी नहीं होती दिल में इक खंजर सा चल जाता है

कोई शिकवा नहीं के तू मेरे दिल में घर कर बैठी है 
भला अपनों पर कोई ऐसे इल्जाम लगाता है

इसके पहले के तेरे ख्यालों को में समेट सकूं
वक़्त है के हाथ से फिसल सा जाता है

तेरे ख्यालों को सहेज के रखने की चाह तो बहुत होती है
हाथ कलम, दवात और कागज़ तक नहीं पहुँच पाता है

तेरे ख़याल तो बहुत आते हैं पर कोई खबर नहीं आती
डाकिया भी अपना सा मुंह लेकर चला आता है

ख्यालों से निकलने पर नब्ज़ रुक सी जाती है
हकीम इसे लाइलाज कह के दवा देने से कतराता है

ख्यालों के सहारे तो जिन्दगी काटनी मुश्किल होगी
कभी आके तो मिल तुझे देखने को दिल ललचाता है

3 comments:

  1. अनिल कान्त जी
    होंसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया

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  2. dil chahta hai koi paar kare to yoonhi kare

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